class 10th पाठ 1- पद सूरदास ( प्रश्न - उत्तर. ) & MCQ

पाठ 1- पद सूरदास 

class 10th पाठ 1- पद सूरदास   ( प्रश्न - उत्तर. ) & MCQ

(जीवन परिचय)

 सूरदास का जन्म सन् 1478 में माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार उनका जन्म मथुरा के निकट रुनकता या रेणुका क्षेत्र में हुआ जबकि दूसरी मान्यता के अनुसार उनका जन्म-स्थान दिल्ली के पास सीही माना जाता है। महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य सूरदास अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। वे मथुरा और वृंदावन के बीच गऊघाट पर रहते थे और श्रीनाथ जी के मंदिर में भजन-कीर्तन करते थे।
 सन् 1583 में पारसौली में उनका निधन हुआ। उनके तीन ग्रंथों सूरसागर, साहित्य लहरी और सूर सारावली में सूरसागर ही सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ। खेती और पशुपालन वाले भारतीय समाज का दैनिक अंतरंग चित्र और मनुष्य की स्वाभाविक वृत्तियों का चित्रण सूर की कविता में मिलता है। सूर 'वात्सल्य' और 'शृंगार' के श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। कृष्ण और गोपियों का प्रेम सहज मानवीय प्रेम की प्रतिष्ठा करता है।
 सूर ने मानव प्रेम की गौरवगाथा के माध्यम से सामान्य मनुष्यों को हीनता बोध से मुक्त किया, उनमें जीने की ललक पैदा की। उनकी कविता में ब्रजभाषा का निखरा हुआ रूप है। वह चली आ रही लोकगीतों की परंपरा की ही श्रेष्ठ कड़ी है। सूरदास के पद के चार पद व उनके अर्थ (Surdas Ke Pad) 1 . ऊधौ , तुम हौ अति बड़भागी। अपरस रहत सनेह तगा तैं , नाहिन मन अनुरागी। पुरइनि पात रहत जल भीतर , ता रस देह न दागी।
 ज्यौं जल माहँ तेल की गागरि , बूँद न ताकौं लागी। प्रीति नदी मैं पाउँ न बोरयौ , दृष्टि न रूप परागी। ‘सूरदास’ अबला हम भोरी , गुर चाँटी ज्यौं पागी। अर्थ :– उपरोक्त पंक्तियों व्यंगात्म्क हैं।
 जिसमें गोपियाँ श्री कृष्ण के परम् सखा उद्धव से अपने मन की व्यथा को व्यंग रूप में कह रही हैं। गोपियाँ उद्धव पर व्यंग करते हुए कह रही हैं कि.. हे !! उद्धव तुम बड़े ही भाग्यशाली हो क्योंकि तुम कृष्ण के इतने निकट रहते हुए भी उनके प्रेम बंधन में नहीं बँधे हो। तुम्हें कृष्ण से जरा सा भी मोह नहीं है और तुम अभी तक उनके प्रेम रस से भी अछूते हो। 
अगर तुम कभी कृष्ण के स्नेह के धागे से बंधे होते तो , तुम हमारी विरह वेदना की अनुभूति अवश्य कर पाते। लेकिन हे उद्धव !! तुम कमल के उस पत्ते की तरह हो , जो जल के भीतर रहकर भी गीला नहीं होता है। और जिस प्रकार तेल से भरी हुई गागर को पानी में डुबो देने पर भी उसमें पानी की एक भी बूँद नहीं ठहरती है , ठीक उसी प्रकार कृष्ण रुपी प्रेम की नदी के पास रह कर भी , उसमें स्नान करना तो दूर , तुम पर तो उनके प्रेम का एक छींटा भी नहीं पड़ा। तुमने कभी भी कृष्ण रूपी प्रेम की नदी में अपने पैर तक नहीँ डुबाये।
 और न ही कभी उनके रूप–सौंदर्य का दर्शन किया। इसीलिए हे उद्धव !! तुम विद्वान हो , जो कृष्ण के प्रेम में बंधे नहीं हो। लेकिन हम गोपियाँ तो बहुत भोली- भाली हैं। हम तो कृष्ण के प्रेम में कुछ इस तरह से बँध गईं हैं जैसे गुड़ में चींटियाँ चिपक जाती हैं। 2 . मन की मन ही माँझ रही। कहिए जाइ कौन पै ऊधौ , नाहीं परत कही। अवधि अधार आस आवन की , तन मन बिथा सही। अब इन जोग सँदेसनि सुनि-सुनि , बिरहिनि बिरह दही। चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं , उत तैं धार बही। ‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं , मरजादा न लही।
 अर्थ :- उपरोक्त पंक्तियों में गोपियां उद्धव से कहती हैं कि कृष्ण के गोकुल से चले जाने के बाद उनके मन की सारी अभिलाषाएं मन में ही रह गई है। वो कृष्ण से अपने मन की बात कहना चाहती थी। लेकिन अब वो कभी भी अपने मन की बात कृष्ण से कह नहीं पाएंगी। गोपियां उद्धव के द्वारा कृष्ण को संदेश भी नहीं भेजना चाहती हैं । वो कहती हैं कि वो इतने लंबे समय से तन-मन और हर प्रकार की विरह बेदना को सिर्फ इसलिए सहन कर रही थी कि एक दिन श्रीकृष्ण अवश्य आएंगे और उनके सब दुख दूर हो जाएंगे। 
परंतु श्रीकृष्ण ने हमारे लिए यह योग संदेश भेजकर हमें और दुखी कर दिया है। हम बिरह की अग्नि में और भी ज्यादा जलने लगी हैं। हे उद्धव ! जब भी किसी के जीवन में दुख आता है तो वह अपने रक्षक को पुकारता है। परंतु हमारे रक्षक ही आज हमारे दुख का कारण हैं। अब बताओ हम कैसे धीरज धरें। जब हमें पता हैं कि श्री कृष्ण नहीं आएंगे। आज हमारी एकमात्र आशा भी टूट गई हैं। वैसे प्रेम की मर्यादा तो यह कहती है कि प्रेम के बदले प्रेम ही दिया जाए। परंतु श्रीकृष्ण ने हमारे साथ छल किया है। उन्होंने हमें धोखा दिया हैं।

 3. हमारैं हरि हारिल की लकरी। मन क्रम बचन नंद-नंदन उर , यह दृढ़ करि पकरी। जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि , कान्ह-कान्ह जक री। सुनत जोग लागत है ऐसौ , ज्यौं करुई ककरी। सु तौ ब्याधि हमकौ लै आए , देखी सुनी न करी। यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ , जिनके मन चकरी। अर्थ :- उपरोक्त पंक्तियों में गोपियां उद्धव से कहती हैं कि हे उद्धव ! जिस प्रकार हारिल पक्षी अपने पंजों से लकड़ी को मजबूती के साथ पकड़े रहता है। लकड़ी को ही अपने जीवन का आधार समझ कर उसे कभी गिरने नहीं देता हैं। उसी प्रकार कृष्ण भी हम गोपीयों के जीने का आधार है। हमने अपने मन , कर्म व वचन से नंद बाबा के पुत्र श्री कृष्ण को ही अपने जीने का आधार माना है।

 हमारा रोम रोम सोते-जागते , दिन-रात , स्वप्न में भी कृष्ण का ही नाम जपता रहता है।इसीलिये गोपियों को उद्धव का योग संदेश किसी कड़वी ककड़ी के सामान लगता है। गोपियां कहती हैं कि हे उद्धव ! हमें तो कृष्ण के प्रेम का रोग लग चुका है।अब हमें तुम्हारे इस योग संदेश का रोग नहीं लग सकता। हमने ना कभी इसके बारे में सुना है , ना कभी जाना है और ना ही कभी इसको देखा है। तुम जो यह योग संदेश लाए हैं। वह जाकर किसी और को सुनाओ , जिसे कृष्ण के प्रेम का रोग न लगा हो। हमें तो कृष्ण के प्रेम का रोग लग चुका है। 

अब इस योग संदेश का हम पर कोई असर नहीं होने वाला है। 4 . हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। समुझी बात कहत मधुकर के , समाचार सब पाए। इक अति चतुर हुते पहिलैं ही , अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए। बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी , जोग-सँदेस पठाए। ऊधौ भले लोग आगे के , पर हित डोलत धाए। अब अपनै मन फेर पाइहैं , चलत जु हुते चुराए। ते क्यौं अनीति करैं आपुन , जे और अनीति छुड़ाए। राज धरम तौ यहै सूर , जो प्रजा न जाहिं सताए। अर्थ :- उपरोक्त पंक्तियों में गोपियां कहती हैं कि उद्धव तो पहले से ही चालाक है और कृष्ण के द्वारा उसे राजनीति का पाठ पढ़ाने से वह और भी चतुर हो गया है।और अब वह हमें छल-कपट के माध्यम से बड़ी चतुराई के साथ श्री कृष्ण का योग संदेश दे रहा है। गोपियां व्यंगपूर्ण उद्धव से कहती हैं कि कृष्ण ने राजनीति बहुत पढ़ ली है।

 अब वो किसी चतुर राजनीतिज्ञ की तरह हो गये हैं। इसीलिए स्वयं न आकर उन्होंने उद्धव को हमारे पास भेज दिया है। वो कहती हैं कि वैसे कृष्ण पहले से ही बहुत चलाक थे। लेकिन अब उन्होंने बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ लिए हैं। जिनसे उनकी बुद्धि काफी बढ़ गई है। इसीलिए उन्होंने उद्धव को हमारे पास योग संदेश देकर भेजा है। और वो उद्धव से ही यहां के सारे समाचार प्राप्त कर लेते हैं। उद्धवजी की इसमें कोई गलती नहीं है। उनको तो दूसरों का कल्याण करने में बड़ा आनंद आता है। गोपियां उद्धव से कहती हैं कि आप जाकर कृष्ण को यह संदेश दीजिए कि वो जब गोकुल से मथुरा गए थे , तो हमारा हृदय भी साथ लेकर गए हैं। वह हमें वापस कर दें। वो अत्याचारियों को दंड देने के लिए गोकुल से मथुरा गए थे। लेकिन अब वो खुद ही अत्याचार करने में लगे हैं।

 सो हे उद्धव !! कृष्ण से जाकर कहिए कि एक राजा को हमेशा अपने प्रजा के हित का कार्य करना चाहिए। उनको कभी दुख नहीं देना चाहिए और यही राज धर्म है।

class 10th पाठ 1- पद सूरदास   ( प्रश्न - उत्तर. ) & MCQ

 ( प्रश्न - उत्तर. )


 1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है? 

 उत्तर :- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी सौन्दर्य तथा प्रेम-रस के सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम बंधन में बँधने एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।


 2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

 उत्तर :- गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है - • गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो जल में रहते हुए भी उससे प्रभावित नहीं होता है| • वह जल में रखे तेल के मटके के समान हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। 

 3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

 उत्तर :- गोपियों ने अनेक उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं- 
 • गोपियाँ उद्धव के व्यवहार को कमल के पत्ते के समान बताती हैं जो पानी में रहकर भी उससे अछूता रहता है यानी वे प्रेम के मूरत कृष्ण के संग रहकर भी उसका अर्थ नहीं जान पाए हैं|
 • गोपियाँ उन्हें 'बड़भागी' कहती हैं जो कृष्ण के संग रहकर भी प्रेम के बंधनों से मुक्त है| उन्हें प्रेम के मायने नहीं पता हैं|
 • वे उद्धव के योग सन्देश को कड़वी ककड़ी के समान बताती हैं जो उनसे नहीं खाई जाती यानी वे उन बातों को नहीं समझ सकतीं| 

 4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया? 

 उत्तर :- गोपियाँ श्रीकृष्ण के आगमन की आशा में बैचैन थीं। वे एक-एक दिन गिन रही थी और अपने तन-मन की व्यथा को चुपचाप सहती हुई कृष्ण के प्रेम रस में डूबी हुई थीं। परन्तु कृष्ण ने स्वयं ना आकर योग का संदेश देने के लिए उद्धव को भेज दिया। विरह की अग्नि में जलती हुई गोपियों को जब उद्धव ने कृष्ण को भूल जाने और योग-साधना करने का उपदेश देना प्रारम्भ किया, तब गोपियों की विरह वेदना और भी बढ़ गयी । इस प्रकार उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरह अग्नि में घी का काम किया।

 5. 'मरजादा न लही' के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है? 

 उत्तर :- 'मरजादा न लही' के माध्यम से प्रेम की मर्यादा न रहने की बात की जा रही है। कृष्ण के मथुरा चले जाने पर गोपियाँ उनके वियोग में जल रही थीं। कृष्ण के आने पर ही उनकी विरह-वेदना मिट सकती थी, परन्तु कृष्ण ने स्वयं न आकर उद्धव को योग संदेश के साथ भेज दिया जिसने गोपियों के उनकी मर्यादा का त्याग करने पर आतुर कर दिया है| 

 6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है ?

 उत्तर :- गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को विभिन्न प्रकार से दिखाया है- 
• गोपियों ने अपनी तुलना उन चीटियों के साथ की है जो गुड़ (श्रीकृष्ण भक्ति) पर आसक्त होकर उससे चिपट जाती है और फिर स्वयं को छुड़ा न पाने के कारण वहीं प्राण त्याग देती है।
 • उन्होंने खुद को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है। जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पंजे में कोई लकड़ी अथवा तिनका पकड़े रहता है, उसे किसी भी दशा में नहीं छोड़ता। उसी प्रकार गोपियों ने भी मन, कर्म और वचन से कृष्ण को अपने ह्रदय में दृढ़तापूर्वक बसा लिया है।
 • वे जागते, सोते स्वप्नावस्था में, दिन-रात कृष्ण-कृष्ण की ही रट लगाती रहती हैं।

 7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ?

 उत्तर :- गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। उद्धव अपने योग के संदेश में मन की एकाग्रता का उपदेश देतें हैं, परन्तु गोपियों का मन तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है। इस प्रकार योग-साधना का उपदेश उनके लिए निरर्थक है। योग की आवश्यकता तो उन्हें है जिनका मन स्थिर नहीं हो पाता, इसीलिये गोपियाँ चंचल मन वाले लोगों को योग का उपदेश देने की बात कहती हैं। 

 8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर :- गोपियों ने योग साधना को निरर्थक बताया है| उनके अनुसार यह उन लोगों के लिए हैं जिनका मन अस्थिर है परन्तु गोपियों का हृदय तो श्रीकृष्ण के लिए स्थिर है| वे उनकी भक्ति में पूरी तरह से समर्पित हैं| योग ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे खाना बहुत ही मुश्किल है। यह ज्ञान गोपियों के लिए बिमारी से अधिक कुछ नहीं है| 

 9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?

 उत्तर :- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म है कि वह प्रजा को ना सताए और प्रजा के सुखों का ख्याल रखे| 

 10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन सा परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ?

 उत्तर :- गोपियों को लगता है कि कृष्ण ने अब राजनीति सिख ली है। उनकी बुद्धि पहले से भी अधिक चतुर हो गयी है। पहले वे प्रेम का बदला प्रेम से चुकाते थे, परंतु अब प्रेम की मर्यादा भूलकर योग का संदेश देने लगे हैं। कृष्ण पहले दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहते थे, परंतु अब अपना भला ही देख रहे हैं। उन्होंने पहले दूसरों के अन्याय से लोगों को मुक्ति दिलाई है, परंतु अब नहीं। श्रीकृष्ण गोपियों से मिलने के बजाय योग के शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिए हैं। श्रीकृष्ण के इस कदम से गोपियों के मन और भी आहत हुआ है। कृष्ण में आये इन्ही परिवर्तनों को देखकर गोपियाँ अपनों को श्रीकृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती है। 

 11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए? 

 उत्तर :- गोपियों के वाक्चातुर्य की विशेषताएँ इस प्रकार है - 
• साहसी - गोपियों पूरी तरह से निडर हैं| वह उद्धव को कोसने से परहेज नहीं करतीं| वह उनके योग साधना के सन्देश को कड़वी ककड़ी और बिमारी बताती हैं|
 • व्यंग्यात्मकता - गोपियों ने बड़े ही प्रभावशाली ढंग से व्यंग्य करती हैं| वे उद्धव को 'बड़भागी' कहती हैं चूँकि वह श्रीकृष्ण के पास रहकर भी प्रेम से अछूते रहे| यह कहकर वह उद्धव का उपहास करती हैं| 
• स्पष्टता - वे स्पष्ट शब्दों में उद्धव को बताती हैं कि वे कृष्ण के प्रेम में पूरी तरह से लीन हैं इसलिए उनके योग सन्देश का उनपर कुछ असर नहीं पड़ने वाला है| 

 12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइये। 

 उत्तर :- भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ हैं-
 • निर्गुण और निराकार भक्ति से ज्यादा सगुण और साकार भक्ति को ज्यादा महत्व दिया गया है| 
• योगसाधना का महत्व प्रेम की एकनिष्ठाता के सामने कम है|
 • गोपियों विरह वेदना झेल रही हैं| 
• गोपियों ने सरलता, मार्मिकता, उपालंभ, व्यगात्म्कथा, तर्कशक्ति आदि के द्वारा उद्धव के ज्ञान योग को तुच्छ सिद्ध किया है। 
• गोपियों ने खुद को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताकर अनन्य प्रेम का परिचय दिया है|
 • अनुप्रास, उपमा, दृष्टांत, रूपक, व्यतिरेक, विभावना, अतिशयोक्ति आदि अनेक अलंकारों का सुन्दर प्रयोग किया है। 
• शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। 
• इसमें भी संगीतात्म्कता का गुण सहज ही दृष्टिगत होता है। 

 रचना और अभिव्यक्ति 


 13. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए|

 उत्तर :- गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, हम निम्न तर्क दे सकते हैं -
 • प्रेम कर विरह की वेदना के साथ योग साधना की शिक्षा देना कहाँ का न्याय है? 
• अपनी बात पूरी ना कर पाने वाले कृष्ण एक धोखेबाज हैं|
 • कृष्ण अपने अन्य प्रेम करने वाले सगों को योग साधना का पाठ क्यों नहीं पढ़ाते?

 14. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखिरत हो उठी? 

उत्तर :- गोपियों के पास उनके मन श्री कृष्ण के लिए प्रेम तथा भक्ति की अद्भुत शक्ति थी जिस कारण उद्धव जैसे ज्ञानी को भी उन्होंने अपने तर्कों से हरा दिया| 

 15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए। 

 उत्तर :- गोपियों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि श्री कृष्ण ने सीधी उनसे प्रेम को भूलाने की बात ना कर उन्हें उद्धव द्वारा योग संदेश का माध्यम अपनाने को कह रहे हैं| गोपियों का कथन कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं, आज की राजनीति में नजर आ रहा है। आज के राजनीति में नेता भी मुद्दों के बारे में साफ़-साफ़ नहीं कहते और मुद्दों को घुमा-फिराकर पेश करते हैं|

class 10th पाठ 1- पद सूरदास   ( प्रश्न - उत्तर. ) & MCQ

 MCQ Question


 Question 2. कृष्ण की संगति में रहकर भी कौन उनके प्रेम से अछूते रहे हैं?
 (a) उद्धव
 (b) गोपियाँ 
(c) राधा
 (d) इनमें से कोई नहीं
 Answer: (a) उद्धव

 Question 3. उद्धव के व्यवहार की तुलना किसके 
पत्ते से की गई है? (a) पीपल के (b) कमल के (c) केला के (d) नीम के Answer Answer: (b) कमल के 

 Question 4. गोपियों को अकेला छोड़कर कृष्ण कहाँ चले गए थे? (a) ब्रज (b) द्वारका (c) मथुरा (d) वृन्दावन Answer Answer: (c) मथुरा 

 Question 5. गोपियों को कृष्ण का व्यवहार कैसा प्रतीत होता है? (a) उदार (b) छलपूर्ण (c) निष्ठुर (d) इनमें से कोई नहीं Answer Answer: (b) छलपूर्ण 

 Question 6. गोपियाँ स्वयं को क्या समझती हैं? (a) डरपोक (b) निर्बल (c) अबला (d) साहसी Answer Answer: (c) अबला 

 Question 7. गोपियाँ किसके प्रेम में आसक्त हो गई हैं? (a) उद्धव-प्रेम (b) कृष्ण-प्रेम (c) संगीत-प्रेम (d) इनमें से कोई नहीं Answer Answer: (b) कृष्ण-प्रेम 

 Question 8. इनमें से किस पक्षी की तुलना गोपियों से की गई है? (a) कोयल (b) मोर (c) हारिल (d) चकोर Answer Answer: (c) हारिल

 Question 9. किसने प्रेम की मर्यादा का उल्लंघन किया है? (a) गोपियों ने (b) उद्धव ने (c) राजा ने (d) कृष्ण ने Answer Answer: (d) कृष्ण ने 

 Question 10. कृष्ण का योग-संदेश लेकर कौन आए थे? (a) उद्धव (b) बलराम (c) सेवक (d) इनमें से कोई नहीं Answer Answer: (a) उद्धव

class 10th पाठ 1- पद सूरदास   ( प्रश्न - उत्तर. ) & MCQ

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post

Contact Form